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Showing posts from June, 2011

Mere Zanib Ek Arz Hai Meri - writer _ Kamlesh Chauhan@2011.All Rights Reserved

मेरी जानिब इक  अर्ज़ है मेरी  लेखक : कमलेश चौहान ( गौरी) मैने माना की तेरी मुहब्बत ने  बनाया दर्रिया-ए नापैदाकरा मुझे  यह पाव में रस्मो रिवाजो की कड़िया दूर जाने को मजबूर  करे मुझे गर गर्म हवाए सितम की उड़ा के  किसी दूर सागर में फैंक  आये मुझे आस न  छोड़ देना , भूल न जाना  यु   रास्ते की  भूल समझ कर  मुझे  पूछ रास्ता अम्बर से  मेरे जानिब मेरे जिगर तुम हमें अपने  पास बुला लेना हम गिर जाये राह में ठोकर खाकर , दे आसरा अपने कंधो पे हमें उठा लेना हम रूठ भी जाये  अगर बार बार तुमसे  , तुम प्यार से हमें यु मना लेना बिखर जाये अगर हमारे खुश्क  उदास गेसू , अपने हाथो से इन्हे संवार देना    हो कर बेज़ार इस   दुनिया से तेरे आगे,  रो पड़े बेमतलब  बात बात पे  हम देकर अपनी मजबूत बाज़ुवो का सहारा , तुम हमें अपने सीने से  लगा लेना एहसास है दिल को खुबसूरत तो हम  नहीं   , काबिल भी नहीं रहे  हम तेरे  एक अर्ज़ है बस मेरी इतनी . मेरे यह हसीं खवाब तुम अपनी आँखों में बसा लेना  Please this is my humble request use your own creativity. Nothing should be manipulated, exploited from this poetry in any forms of s

Bewazah Teri Gali Mein: Lekhak --Kamlesh Chauhan @June 2011

बेवज़ह तेरी गली में लेखक - कमलेश चौहान Copy Right@Kamlesh Chauhan कहाँ से लायू किताबे ज़ीस्त , कौन लिखेंगा तेरा नाम ? मेरा हाथो की लकीरों में अंधेरो से गिला काया करू , उदय होते ही उजले सूरज के दोनों हाथ जल गए थे सवेरे में दिल की दहलीज़ पर सदियों से जो सुबह की कायनात सी खामिशी छाई थी ले जाकर किनारे पे साहिल ने चुपके से सागर में खुद ही नाव डुबोई थी चले ले कर रहगुजर में मीठे खवाबो का काफिला दो अजनबी इक साथ बिन सोचे, बेख्याल , मदहोश, बेकाबू हिसारो में कैद मासूम ज़ज्बात याद आये वोह रविंशे-गर्दोबाद तेज़ हवा के झोंके मेरे कदम बेवजह तेरी गली में ले गए न जाने क्या हुवा यह तो है मेरी रूह के पहचाने दरो दिवार बेखुद नासुबरी आ गए शौके -बे -माया ने तुझे भी शायद जा नींद से जगाया होगा सुनी जो शबेतार में कदम की आहट मेरी आँखों में थी तेरी रोशनी शायद चाँद निकल आया होगा हलके हलके बदने लगी दिलो की चाहत तुम्हारी वफ़ा को करू मै सजदे , तकरार पर भी रोकते हो रोक लेते हो रास्ता मेरा भीगी पलकों को यु चूम कर मेरी मस्ती में मुस्करा देते हो चुमते है लब मेरे नाम तेर

Sadiyo ki Gulami ka Tanaha Deta hai Dushman

सदियों की गुलामी का ताना देता है हरी झंडी वाला पाकिस्तान लेखक : कमलेश चौहान आज भी देखती है ख्वाब सुल्तान अलाउदीन और गजनवी की ओलाद फैला दिया है आतंक पुरे भारत में लेकर देश में पल रहे देशद्रोही नेता का साथ कश्मीर की घाटियों लुटी है हर भारती माँ बहिन बेटी और बीवी की लाज फिर भी देश का रक्षक गाये गीत भाई चारे के जिन्दा रखा है अफज़ल व कसाब देता है होका पाकिस्तान हरा होगा भारत तुमको फिर बनायेगे अपना गुलाम ओह! देश की रक्षक कहाँ गया वोह ज़ज्बा वोह तुम्हारे देश भक्ति का परचार दर दर भीख मांगते थे जनता से लेकर सडको पे नेता बनने का सुहाना खवाब उठे है ज़लज़ले हिंदुस्तान में नेता बने है रावन अपने ही आजाद वतन में देखकर लगायी जो आग सफल हो गया है दुश्मन नेता आये उसकी चुगल में रात के अँधेरे में देश के रक्षक ने अजमाया जनता का सबर इस कदर धर यमराज का घिनोना रूप बनाया रिश्वत को जनम सिद्ध अधिकार अशक है उन देश वीरो की आँखों में खेली बाज़ी जिन्होंने कश्मीर की सरहंद पे आज वोह दौर आया मीडिया नेता वार करे अपने ही वतन के देशभकतो पे हो रहा है स्वतंत्रता का सौदा भरे है अपने हि

Sadiyo ki Gulami Ka Tanha Deta hai Hari Jhandi Wala - Kamlesh Chauhan

सदियों की गुलामी का ताना  देता है हरी झंडी वाला पाकिस्तान लेखक : कमलेश चौहान आज भी देखती है ख्वाब सुल्तान अलाउदीन और  गजनवी की ओलाद  फैला दिया है आतंक  पुरे भारत में लेकर देश में पल रहे देशद्रोही नेता  का साथ   कश्मीर की घाटियों लुटी है हर भारती माँ बहिन बेटी और बीवी की लाज फिर भी  देश का रक्षक गाये गीत भाई चारे के जिन्दा रखा है अफज़ल व  कसाब देता है होका   पाकिस्तान  हरा होगा भारत तुमको फिर बनायेगे अपना गुलाम   ओह! देश की रक्षक कहाँ गया  वोह ज़ज्बा  वोह  तुम्हारे देश भक्ति का परचार दर दर भीख  मांगते थे जनता से लेकर सडको पे नेता बनने का सुहाना खवाब उठे है ज़लज़ले हिंदुस्तान में नेता बने है रावन अपने ही आजाद वतन में देखकर लगायी जो  आग सफल हो गया है दुश्मन नेता आये   उसकी चुगल में रात के अँधेरे में देश के रक्षक ने अजमाया जनता का सबर इस  कदर धर यमराज का घिनोना  रूप बनाया रिश्वत को जनम सिद्ध अधिकार अशक है उन देश वीरो  की आँखों में खेली बाज़ी जिन्होंने कश्मीर की सरहंद पे आज वोह दौर आया मीडिया नेता वार करे अपने ही वतन के देशभकतो पे हो रहा है स्वतंत्रता का सौदा भरे  है अपने हित के लिये व

चिंतन मेरे मन का: मैं राहुल बाबा

चिंतन मेरे मन का: मैं राहुल बाबा : "अगर राहुल जी से आज सच बोलने को कहा जाये और वे आंखे बंद करके सच कहने का फैसला करें तो कुछ इस तरह सच सामने आएगा - एक चिंतन कांग्रेसियों का..."

परावाणी : The Eternal Poetry: हर लाठी जो सत्याग्रह पर चलती,गांधी को लगती है.

परावाणी : The Eternal Poetry: हर लाठी जो सत्याग्रह पर चलती,गांधी को लगती है. : "फिर भी, तुमने हमसे डर कर , हिंसा का कहर उतारा है. =================== इतिहास साक्षी है इसका , सत्ता की लाठी से अक्सर, जागा करता है श..."