क्या हिन्दू होना गुनाह हैं ?
लेखिका : कमलेश चौहान (गौरी )

कैलिफ़ोर्निया के एक सर्रीटोस के एक शहर की शाम  को सात बजे हज़ारों सवाल जाग्रति की ऐन. जी. ओ .के  अधिवेशन में आये लोगो ने  पूछे " क्या हिन्दु होना पाप है ? क्या हिंदुत्व देश को बांटता है ? क्या हिंदुस्तान को हिन्दुस्तान कहना गैर कानूनी है ?जब भी आता है लब पर हिन्दू नाम उसे संप्रदायिक क्यों कहा जाता?
सबसे पहले  गायक रचना  ने देश भगती के गीतो से सभा के लोगो को अपने बिछड़े वतन भारत की याद दिलायी।  उसके बाद  डाक्टर गडसाली ने वन्दे मातरम के संगीत से श्रोतागणो को   मुग्ध  किया।  उसके बाद अपना माइक  मंच  प्रबंधक जैश पटेल को दिया।  जिन्होंने सभा के आने वाले  सभी लोगों का धन्यवाद किया। 
 हर्ष ध्रुव  जो  ओवरसीज बीजेपी के प्रधान है  उन्हों ने लोगो को बताया कि जाग्रति ने हमेशा भारत की एकता के लिये कुछ न कुछ कार्यक्रम किया है जब कश्मीर में हिन्दू लोगो के साथ जुल्म हो रहे थे तो १९९० में  हुए यह मिशन बनाया है कि " नो नेशन शुड भी  डिवाइडिड इन  दा नाम ऑफ़ रेस ऐंड  रिलिजन" उसके बाद उन्होंने अपना माइक  प्रबोधन डॉक्टर स्याल को दिया जिन्होंने नवंबर १६, २०१४ को  सभी वक्ता की  लोगो को जानकारों दी।  
 
जब भी देश में आपत्तिकाल आया सबसे पहले हिन्दू की गर्दन काटी गई।  आज तक हिन्दू के गले कट जाने के बाद किसने लगाये नारे? जब भी किसी ने कोई अपराध किया तो उसके धर्म पर हिन्दू को  ही गाली  दे दी  गयी। सीमा की रक्षा कर रहे सिपाहियों पर पीठ पर वार करते हुऐ दुशमन उनके गले काट काट कर भारत का उपहास उड़ाते रहे और हम सब लाचार हो कर एक दुसरे पर ही उंगलियाँ उठाते रहे। 

इन सवालो जवाब देने के लिये जाग्रति सस्था ने डॉक्टर रिचर्ड बेनकीन जो अमेरिका में  सक्रियतावादी और लेखक भी है, उनकी पुस्तक" जेनोसाइड ऑफ़ हिन्दुस् इन बंगला देश - एथनिक क्लींजिंग ऑफ़ हिन्दुस् इन बंगला देश " का  लोकापर्ण  किया गया। 
 
  डॉक्टर  रिचर्ड  ने सबको हैरान करने वाली घटना बताते हुए कहा कि बंगला देश के हिन्दू पर जब हमला होता हो वहा की पुलिस  हिन्दू पर हमला करने वाले मुज़रिम पर कोई कार्यवाही ही नहीं करती।  २७ जुलाई २०१३ मानव अधिकार के सक्रियतावादी रबिन्द्रा घोष  तथा उनके साथियों पर इतना खतरनाक हमला किया गया लेकिन पुलिस से शिकयात करने पर भी सरकार ने अपराधियों पर कोई कार्यवाही नहीं की।
 
यहा तक कि पहली अप्रैल , २०१२ को रबिन्द्रा घोष की ८७ साल की माता जी को कई लोगो  ने वार किया लेकिन  बंगला देश  की सरकार ने आज तक किसी को भी  सजा नही दी।  उसका एक ही कारण है क्योंकि हिन्दू जब जब जख्मी हुआ अपने ही हिन्दू ने कभी एकता नही दिखायी और ना ही भारत की सरकार ने भारत से बाहर  विदेशो में बसने वाले हिन्दू के लिये आवाज उठायी। दुनिया के किसी कोने में मुस्लमान या ईसाई के साथ कुछ भी होता है उनका सारा वर्ग एक हो जाता है। लेकिन अगर हिन्दु आवाज उठाये तो उसे भगुवा और जातिगत के नाम से शर्मिन्दा किया जाता है। 
 
अब सवाल उठता है कश्मीर जो काश्यप ऋषि की धरती पर आज हिन्दू इस कदर विविश है कि  जो  अपनी मेहनत से बनाये घर वह कश्मीर में छोड़ आये थे , आज तक वह अपने ही   घरों में  वापिस नही जा सके। 
 
जमाते इस्लामी और पाकिस्तान की पुर्व प्रधान मंत्री  श्री मति भुट्टो ने ऐसी नफ़रत की आग जलायी को वह कश्मीरी मुस्लिम जो  अपने कश्मीरी हिन्दू से दिवाली और ईद साथ साथ मनाया करते थे। उन्ही  के सामने ही  हिन्दू औरतों को काट कर जेहलम में  फैंक दिया गया, जब देश के अन्य हिन्दू भाई आराम की नींद सो रहे थे।
 
 कैलिफ़ोर्निया के डाक्टर अमृत नेहरू ने बताया कि " मैं यहां अपने कश्मीरी हिन्दू की बात करना चाहता हूं फिर भी मै इतना बता देना  चाहता हुँ कि  मै  किसी भी जात और धर्म के ख़िलाफ़ नहीं हूं। लेकिन १९४७ में १५ फ़ीसदी हिन्दू थे जो आज घट कर सहम कर , कुछ अपनी लाचारियों से ज़ुल्म सहते गये।  उनका कसुर यह था कि वह हिन्दू थे।  हिन्दू कौम कश्मीर में एक जुर्म हो गया। तलवार की नोक पर हिन्दू की लड़कियों को अगुवा कर लिया गया बेचा गया और धर्म भी बदला  गया। यह थी  पाकिस्तान की साज़िश जिसने भोले भाले अनपढ़ मुसलमानो को और कटर मुसलमानों को पैसे दे दे कर कश्मीर की वादी में हिन्दू के खुन की नदियां बहा दी।   जो बचकर आ गये उन्होंने कैम्पों में इतनी बुरी ज़िन्दगी काटी भारती सरकार  ने उनकी खबर तक न ली "
 
डॉक्टर अमृत नेहरू की आँखों में जो आँसू बह रहे थे सभा में आये लोगो को भी रुला दिया।  यहां तक जो गरीब कश्मीरी हिन्दू थे , जो कश्मीर नहीं छोड़ सके उन्होंने घरों के छतों से अपनी इज़्ज़त बचाने के लिये छलांगे लगा दी।  कर्फू नाईट की मूवी भी बना  दी गयी।  हैदर मूवी में भी हमारे देश के  सैनिकों पर उंगली उठा दी गयी , हमारे देश की मीडिया को  या बॉलीवुड को कश्मीरी हिन्दू के साथ हुई बेइंसाफी कभी याद नहीं आयी। आज तक भारत के  किसी निर्माता को कश्मीरी हिन्दू के साथ हुई बेइंसाफी , उनकी लड़कियों और बच्चो पर हुए ज़ुल्मों की सच्चाई नहीं मिली। 
 
अब बारी आयी पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू सिंधी  रमेश रामनानी जो पाकिस्तान के वासी थे। उन्होंने बताया की अगर भारत के हिन्दू ने अपने आप को ना संभाला , अगर उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद होने को बुराई समझी तो हिन्दु का हाल भी वही होगा जो पाकिस्तान और बंगला देश और कश्मीर के हिन्दू का हुआ है।
 उनका यह भी कहना था  हिन्दू होने का अर्थ यह नहीं की हम दूसरे धर्म से नफरत करे या हम उनसे भाईचारा न बढ़ाये। लेकिन पाकिस्तान से जब हम हिन्दु  हिन्दुस्तान आना चाहते है  तो  हमें हिन्दुस्तान का वीजा भारत सरकार नहीं देती। जबकि बंगला देश तथा पाकिस्तान के  मुसलमानो को बॉलीवुड में , व्यापार करने के लिए भारत सरकार अनुमति देती है।  पाकिस्तान में रहने वाली हिन्दू लड़के और लड़किया अगर बॉलीवुड या हिन्दुस्तान में काम करने के लिये आना चाहते है तो उनको भारत सरकार कभी वीजा  नहीं देती।

उसके बाद आए सभा के लोगो ने सभी वक्ता से सवाल पूछे कि भारत की एकता को कायम रखते हुए , भारत की डाइवर्सिटी को कायम रखते हुए हिन्दू को कैसे जागरूक किया जाये।
  ऐसा क्या  है की हमने आजतक हिन्दुकुश के नरसंहार से कुछ क्यों नहीं सीखा? धर्म कभी नहीं सीखाता  किसी से बैर करना। हमारी सेना में अगर हिन्दू और सिख अपने भारत के लिये लड़ते है तो हमारे भारती मुसलमान भी भारत के लिये लड़ते है।  हम सब को यह एकता बनाये रखनी है।  लेकिन जब तक पाकिस्तान और बंगला देश जैसे राज्य भारत की डाइवर्सिटी को उसकी  इज़्ज़त और उनके  एक साथ शांति बनाये रखने की सभ्यता को नही समझते तब तक भारत की सरकार को ऐसे पड़ोसी से दुरी बनाये रखनी होगी। हमें अपनी सरहदों पर बहुत सख्त रक्षा करनी होगी। 
 
प्रोग्राम के अन्त में सबने " अल्लाह तेरो नाम , ईश्वर तेरो नाम की प्राथना भी की और सभा में मुस्लमान भाइयो ने भी भारत की एकता और आपस में धर्म के नाम पर नफरत मिटाने की कस्मे खायी।  उन्होंने ने भी कहा " कश्मीर भारत का अटुट हिंसा हैं और अटुट रहेगा।  धर्म के नाम पर कश्मीर या कोई भी भारत का हिस्सा भारत से अलग नहीं हो सकता। न हिन्दू होना गुनाह है न ही मुस्लिम होना।  नफरत की आग हम सब को बरबाद कर देगी।  हम हिंदुस्तानी पहले है , हम भारती पहले है फिर हम हिन्दू है और मुसलमान हैं।  " कश्मीर की रक्षा करनी है" के नारे  से पुरा माहौल देश भक्ती की भावना में डूब गया। 
 
इस डिबेट में भाग लेने वाले रे करडोवा ,  फ्रैंक  अडामो  को  इस शाम को  प्रोत्साहन  तथा अमेरिका में हिन्दू की परेशानियों  का जिकर अमेरिका  की संसद में पेश करने के लिए उन्हें विशेष रूप से  सम्मानित  किया गया। डॉक्टर परवीन  स्याल जिन्होंने सभा तथा सभी व्यकता को प्रबोधन किया।
Copy Right@ Kamlesh Chauhan (Gauri)

Comments

  1. Google me Hindi likhte waqat kayi galtiya ho jaati hai kripya uske like ham Kashma Chahte hai .

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  2. Indians are suffering from Stockholm Syndrome... n politicians have no morals and values these scums can go down to any limits to satisfy their personal interests.

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  3. ANURAG P Singh Rathore I Really thank you for your valuable thought. Please do contribute your views to us.

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  4. क्या हिन्दू होना गुनाह हैं ?


    बीते रविवार को पाकिस्तान में आयोजित सेमिनार में एक
    हिंदू लड़की रिंकल कुमारी के
    चाचा राजकुमार ने सवाल किया, क्या आप
    अपनी बेटी की किसी हिंदू
    के साथ जबरन शादी को स्वीकार कर
    सकते हैं? मंच पर छह वर्ष की एक
    बच्ची जुमना की ओर इशारा करते हुए
    कहा कि वह और उसकी 10 वर्ष
    की बहन का जबरन धर्म बदलवा दिया गया. यह
    मुद्दा उठा पाकिस्तान के कराची प्रेस क्लब में
    आयोजित
    क्या हिन्दू होना गुनाह हैं ?
    `पाकिस्तान में हिंदू-मुद्दे और समाधान` सेमिनार में . भारत को छोड़कर
    जिस देश में भी हिन्दू रहते हैं वे
    वहाँ अल्पसंख्यक हैं. पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया,
    मलेशिया आदि सभी देशों में रह रहे हिंदुओं
    का लगातार उत्पीड़न हो रहा है, पाकिस्तान के हालत
    तो बद से बदतर हैं वहाँ तो हिंदुओं की बहू
    बेटियों को उठा लिया जाता है तथा जबरन उनका धर्म परिवर्तन कर
    इस्लाम कबूल करवाया जाता हैं. पिछले दस साल के दौरान पाकिस्तान
    में ऐसी घटनाओं का आंकड़ा देखने पर पता चलता है
    अनगिनत हिंदू लड़कियों को अगवा करने के बाद जबरन धर्मांतरण
    करके निकाह किया गया. पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों पर जिस
    तरह कहर ढाया जा रहा है, पूरी दुनिया में
    किसी भी देश में धर्म के नाम पर
    ऐसा नहीं हो रहा है. यही हालत
    मलेशिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया आदि में रह रहे हिंदुओं के हैं.
    चूंकि भारत एक हिन्दू बहुसंख्यक देश है तो अन्य देशों में हिंदुओं
    पर हो रहे अत्याचारों पर भारत सरकार
    की उदासीनता अफसोसजनक है. न
    केवल भारत सरकार बल्कि भारतीय
    मीडिया और हिन्दू संगठनो का झंडा उठाने वाले नेताओं
    का भी रवैया उदासीन रहा है, कोई
    भी इस बात
    की अंतराष्ट्रीय मंच पर वकालत
    करता दिखाई नहीं देता. इन सबमे सबसे
    अफसोसजनक रवैया तो भारतीय
    मीडिया का है जो एक
    मंत्री की भैंस चोरी होने
    पर पूरा पूरा दिन बोलते और कवरेज करते नहीं थकते
    पर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं
    का हो रहा उत्पीड़न इन्हे
    दिखायी नहीं देता.
    भारत सरकार द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियो को नागरिकता,
    राशन कार्ड, वोटर कार्ड आदि उपहार में दिया जाता है पर भारत में
    कश्मीर व पाकिस्तान से आये हिन्दू आज
    भी तम्बुओं में रहने को मजबूर हैं क्यूंकि ये सब
    शरणार्थी हिन्दू हैं और हिन्दू होना तो एक गुनाह है
    । जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने सन्देश में
    ये कहते सुनाई देते हैं कि इस देश के संसाधनो पर पहला हक़
    मुस्लिमों का है तो इस बात का मतलब यही है
    कि प्रधानमंत्री जी भी मेरी बात
    से सहमत हैं कि हिन्दू होना वाकई गुनाह है.
    अब जरा भारत में रह रहे हिंदुओं की बात करें
    तो कश्मीर से तो लगभग
    सभी कश्मीरी पंडितों को खदेड़
    दिया गया है तथा आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे
    राज्यो से भी हिन्दू पलायन की खबरें
    भी सुनाई
    देती रहती हैं. जब
    कभी भारत में हिन्दू मुस्लिम दंगा होता है तो मरने
    वालों में हिन्दू व मुस्लिम दोनों ही होते हैं पर सरकार
    की मेहरबानिया मुस्लिम तबकों पर
    होती हैं होनी भी चाहिए
    लाड़ला बेटा जो है सरकार का जबकि हिन्दू सौतेला बेटा,
    कभी कोई सरकार का नुमाइंदा हिन्दू शिविर में दिखाई
    नहीं पड़ता न ही कोई राहत
    योजना हिन्दू शिविर तक पहुचंती है. गुजरात दंगें
    तो सब को याद हैं पर कभी गोधरा काण्ड में मारे गए
    हिंदुओं को भी कोई याद करता है
    करना भी नहीं चाहिए हिन्दू होने
    की सजा भी तो मिलनी चाहिए.
    मीडिया में आये ख़बरों की माने
    तो मुज़फ्फरनगर दंगा भी मुस्लिम तुष्टिकरण
    की वजह से हुआ.
    दुनिया के हर देश में अल्पसंख्यक समुदाय जरूर होता है और
    लगभग हर देश का संविधान अपने देश में रह रहे अल्पसंख्यक
    समुदाय को हर सम्भव बुनियादी सुविधाये व
    आजादी मुहैया कराता है और
    करानी भी चाहिए लेकिन बहुसंख्यक
    समुदाय के अधिकार व आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा कर
    नहीं. पर हिंदुओं के लिए सब जायज़ हैं क्यूंकि कोई
    बोलने वाला ही नहीं है.
    क्या आप सब को नहीं लगता हिन्दू होना एक गुनाह
    है अगर नहीं तो क्यूँ सजा भुगत रहे हो और अगर
    हाँ तो कब तक सजा भुगतोगे हिन्दू होने की
    क्या हिन्दू होना गुनाह हैं ?

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