Fir Tiranga Muskrata hai . Written by : Poet Jeffrey Partap

हटा नज़रे रूकसार ऐ यार से
के तुम्हे अब वतन बुलाता है
देश पे मरणो वालो का नाम
किताबो में लिखा जाता है
खुशनसीब हो तुम देश
के गर काम आ जाओ
शहीदों की मज़ारों पे
फिर तिरंगा भी मुस्करता ह
Jeffrey Partap

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