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Showing posts from November, 2015

Who are Real Hero mere Actors or Soldiers? Kamlesh Chauhan ( Gauri)

Who are Real Hero mere Actors or Soldiers? Kamlesh Chauhan ( Gauri) Why we always make our movie actor our mentor, our hero or super hero? What they really do for us? Do they work free or do they serve the nation? Yes they work in the entertainment industry to make money, to get fame and name just like any other laborer in the world. What right they have to defame the nation they live in? Oh! Just becoz a public make them hero or super hero? King or Badshah? Our Soldiers are dying every other day in the hands of Pakistan trained terrorists and we Indians in opposition parties are worrying about destroying India just becoz they have their own selfish agenda. They are foolishly against   ambitious, Aggressive, Hardworking Prime Minister who happens to be Hindus?  India has been Hindus for centuries and  we been invaded  by so many people due to our own humble, and trust in the fake friendships of invaders and our own personal animosity  among each other. Which is happening ag

घायल अपने मथुरा काशी ,घायल जमुना गंगा है:मनोज"मोजू"

घायल अपने मथुरा काशी ,घायल जमुना गंगा है घायल अक्षरधाम हमारा घायल पड़ा तिरंगा है घायल दिखता भारत माँ का उज्ज्वल सा वो भाल भी है घायल दिखते पर्वत घाटी ,घायल नदिया ताल भी है घायल केसर वाली घाटी , बौना है कानून जहा भारत माँ के बेटो का ही बिखरा मिलता खून वहा घायल अपनी मर्यादा और चोटिल संस्कार हुआ लगता सूरज की किरणों पे जुगनू का अधिकार हुआ उनकी तो गाली भी होती अभिव्यक्ति की आज़ादी और हमारे भजनो पे भी रोक यहा पे लगवा दी जनक के जैसे चीखे आती किले की प्राचीरों से संशय मे पूछे क्या भूमि रिक्त हो गयी वीरो से अपनी कायरता के कारण देखो ये क्या हाल हुआ छलनी भारत माँ का आँचल घायल माँ का भाल हुआ गीता रामायण पढ़ने की बात पे होता दंगा है ......... घायल अपने ...... घायल हुई है रामायण भी चिंतित दिखते राम अभी दुश्मन के बाणो से खतरे मे लक्ष्मण के प्राण अभी क्या रावण मनमाने ढंग से वेश बदल कर आयेगा सीता जैसे भारत की बेटी को हर ले जाएगा और कहा तक सहते रहना होगा अब उसके छल को याद करो हे बजरंगी तुम भी अपने अतुलित बल को चाहे कितने शीश हो दुश्मन के काटो अब गर्दन को याद करो गोपाला के उस