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Showing posts from May, 2010
Neeraj Tyagi Contribution to my Blog
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Neeraj Kumar Tyagi May 16 at 8:31pm Reply मैं पतली सी धार नदी की गहराई को क्या पहचानूँ ! मेरे अंतर प्रेम ,ह्रदय के कुटिल भाव को मैं क्या जानूँ ! वैसे कहते लोग कि मैने, चीर दिया धरती का आँचल , मुझ से ही है जीत न पाया , कोई गिरिवर या कि हिमांचल , अम्बर पर छाये टुकड़ों में चीर दिए हैं मैने बादल, हर प्राणी कहते उत्सुक हैं सुनने को मेरी ध्वनि कल कल पितृ गृह से जब निकली थी धवल बनी कितनी ,कितनी थी निर्मल बढ़ता गया गरल ही मुझसे माना पछताई में पल पल आखिर मुझको ले ही डूबा लगता है जो सागर निश्छल ह्रदय दग्ध दिखलाऊँ किसको ,किसे पराया अपना मानू ! पथ साथी सब मिले लुटेरे मान के प्रेमी गले लगाया दोनों ही हाथों से लूटा तन मन अन्दर जो भी पाया सबने मुझको किया लांछित , देख जगत को मन भरमाया ! मैने सबके पाप समेटे जो भी जितना संग ले आया अस्तित्व मिटाया मैने अपना तभी सिन्धु ने गौरव पाया सुनी व्यथा पर दर्द न जाना , बोलो कैसे व्यथा बखानूं !! By Poet Satyaprakash Tyagi
Why Men Don't Cry written by Kamlesh Chauhan all rights reserved @Kchauhan2010
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Why Men Don’t Cry? Written By Kamlesh Chauhan Copyright @ 2010 We are going all the way through very rebellious period where women are becoming more and more candid, Independent and career oriented which is mostly conventional to young male generation. Women reject to take physical, verbal and mental abuse which is great challenge to men world. If we say abuse has been stopped against women that are our erroneous belief. Look at human trafficking, People think Prostitution is an old trade instead of ending that trade, Society accepts without taking a measure on such an evil. Why Men are abusive? Why Men don’t cry? Do we ever think about these issues? It’s easy to play victim or blaming attacking men only than taking a stand on it. No relation is worry or problem free. Every marriage has problems. There is a time when Parents from both side to arbitrate and there is time when families take leave from both adults married kids. Some time they do need to consult them som...
सात फेरो से धोखा --लेखक : कमलेश चौहान allrights reserved with kamlesh chauahn
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रीता कितनी देर पूल मे तैरती रही तथा रवि न जाने कितनी देर से उसके जिसम को यु कभी मुड़ता डोलता हिलता देखता रहा अपनी नज़रो से निहारता रहा अचानक उसका ध्यान रीता की बीती जिंदगी पर चला गया..उसने कल्पना मे सुधीर को रीता के जिसम पर कोड़े बरसाते देखा तथा रीता को तरपते चिलाते पाया.. अपनी ही कल्पना में खोया रवि भागकर रीता को बचाने पानी मे भागा... पानी की तेज लहर मे रीता को अपनी बाजूयो मे यु जकड लिया रीता इस कदर चिलाती रही लेकिन रवि को न जाने क्या सूझी वोह रीता के अंगो को सहलाता गया..जैसे जैसे रीता का बदन पानी मे तैर रहा था ....... ............