मेरा रोष यह पुजनीय साहित्यकारों को जिन्होंने हिन्दु नाम को कलंकित किया। : लेखिका :कमलेश चौहान (गौरी )
मेरा रोष यह पुजनीय साहित्यकारों को जिन्होंने हिन्दु नाम को कलंकित किया। लेखिका :कमलेश चौहान (गौरी ) लेखक की कलम कभी एक वर्ग के लिये कागज के पनो को काला नही करती। साहित्य की कलम इंसाफ के डगर पर चलती है। परन्तु आज शरम से सर झुक गया की हमारे बड़े बड़े साहित्यकारो ने बिना सत्य जाने अपना साहित्य अकदमी का पुरस्कार ऐसे वापिस किया जैसे की मरने वाले ने गाय के बछड़े को चुराकर मारा नहीं काटा नही। यह बात मै मानती हुं दोषी को मारने का हक किसी भी इन्सान को नहीं। किसी को भी कानुन अपने हाथों में नहीं लेना चाहिये लेकिन हिन्दु को अपने देश में अपने हिन्दु को नफरत की नज़र से देखा जाता है। कोई कहता कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है , कश्मीर भारत का है होगा । उसे मालूम नहीं है ? अरे नेता तुम्हे इंजीनियरिंग का सर्टिफिकेट लिया , लेकिन काश्यप ऋषि की धरती कश्मीर की पवित्र धरती के बारे नहीं मालूम ? अशोका दी ग्रेट की धरती कश्मीर का नहीं मालुम ? गुरु तेग बह...