Posts
Showing posts from April, 2010
सात समुन्दर पार -कमलेश चौहान - ज्ञान दर्पण -रतन शेखावत
- Get link
- X
- Other Apps
चंडीगढ़ के यूनिस्टार पब्लिकेशन ने "सात समन्दर पार " हिंदी उपन्यास प्रकाशित किया है जिसे लिखा है अमेरिका में रहने वाली भारतीय महिला कमलेश चौहान ने कमलेश चौहान पंजाब साहित्य सभा द्वारा प्रेस्टीयस एन आर आई एकेडमी अवार्ड जनवरी २००९ से भी सम्मानित है उपन्यास अमेरिका में रहने वाले एक एनआरआई से शादी करने वाली महिला के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित है इस उपन्यास की मुख्य किरदार सुन्दरी नामक एक महिला है साधारण परिवार में जन्मी सुन्दरी स्वतंत्र विचारों वाली ,बहादुर,चतुर ,वाक्पटु और सुन्दर महिला है अपनी दो बहनों की शादी के खर्च के वित्तीय बोझ से दबे परिवार पर सुंदरी कभी बोझ नहीं बनना चाहती इसीलिए वह अपनी शादी की बजाए अपनी पढाई को प्राथमिकता देती है साथ ही गलत सामाजिक अवधारणाओं के खिलाफ आवाज उठाती है सुन्दरी आकाश नाम के एक लड़के जिसे वह अपने सपनो का राजकुमार समझती है से बेइन्तहा प्यार करती है लेकिन उसके इस प्यार के रिश्ते को उसके घर वाले कभी स्वीकार नहीं करते और उसकी शादी एक एन आर आई से कर दी जाती है अपने परिवार की आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों के चलते सुन्दरी उस एनआरआई से शादी क...
हम रूठना भूल गए : लेखिका कमलेश चौहान Copy rights with kamlesh Chauhan
- Get link
- X
- Other Apps
हर मौसम आया हर मौसम गया हम भूले ना आज तक कोई बात हम भूले ना तेरा मधुर पियार दिल ने माना तुम्हे ही दिलदार तेरा हमारे रूठने पे यह कहना भल्ला लगता है तेरा मिजाज़ चुलबला जब हमारा किसी से बात करना सुना करते थे तुमसे ही तुम्हारे दिल का डरना हम पूछते थे कियों करते हो हमारे प्रेम पे शक जवाब था तुम्हारा भरोसा है मुझ पर नहीं करता मेरे दिल नादाँ पे कोई शक लेकिन यु आपका हमारे आजाद पंछी दिल को कैद करना हमारा दिल समझ न सका आपका इस कदर दीवाना होना जब आई तुम्हारी बारी पराये लोगों से यु खुल कर बात करना हम सोचते आप भी सीख जायोंगे प्रेम दोस्ती मे अंतर करना हम खुश होते तुम सीख रहे हो गैरो से दोस्ती करना हमारे दिल की कदर करोगे क्या होता है समाजिक होना यह क्या हुआ यह कै़से रुख बदला तुमने अपना गैरो की बातो मे हकीकत पाई तुमने हमारी वफ़ा भूल गए मौसम भी कुछ वक़त लेता है बदलने में सर्दी गर्मी घडी लेती है रुत बदलने में यह किस कदर रास्ता हमारा भूल गए इतनी जल्द कियों रंग बदल गया तुम्हारा नियत ने बदसूरत किया चेहरा तुम्हारा हम बैठे रहे दहलीज़ पर तेरी इंतजार म...