हम रूठना भूल गए : लेखिका कमलेश चौहान Copy rights with kamlesh Chauhan
हर मौसम आया हर मौसम गया
हम भूले ना आज तक कोई बात
हम भूले ना तेरा मधुर पियार
दिल ने माना तुम्हे ही दिलदार
तेरा हमारे रूठने पे यह कहना
भल्ला लगता है तेरा मिजाज़ चुलबला
जब हमारा किसी से बात करना
सुना करते थे तुमसे ही तुम्हारे दिल का डरना
हम पूछते थे कियों करते हो हमारे प्रेम पे शक
जवाब था तुम्हारा भरोसा है मुझ पर
नहीं करता मेरे दिल नादाँ पे कोई शक
लेकिन यु आपका हमारे आजाद पंछी दिल को कैद करना
हमारा दिल समझ न सका आपका इस कदर दीवाना होना
जब आई तुम्हारी बारी पराये लोगों से यु खुल कर बात करना
हम सोचते आप भी सीख जायोंगे प्रेम दोस्ती मे अंतर करना
हम खुश होते तुम सीख रहे हो गैरो से दोस्ती करना
हमारे दिल की कदर करोगे क्या होता है समाजिक होना
यह क्या हुआ यह कै़से रुख बदला तुमने अपना
गैरो की बातो मे हकीकत पाई तुमने हमारी वफ़ा भूल गए
मौसम भी कुछ वक़त लेता है बदलने में
सर्दी गर्मी घडी लेती है रुत बदलने में
यह किस कदर रास्ता हमारा भूल गए
इतनी जल्द कियों रंग बदल गया तुम्हारा
नियत ने बदसूरत किया चेहरा तुम्हारा
हम बैठे रहे दहलीज़ पर तेरी इंतजार मे
बिखरा दिये राहो की बेदादगरी ने
जो भूल बिखारे थे मेरे हाथो ने
जब रूठ कर माँगा हमने अपना हक
बरसा दिये तुमने अंगार भरे लफ्ज़
आंखे रोई पर ना सोयी रात भर
तेरी ख़ुशी पे भटका था मेरा सफ़र
वोह नज़र बरस जाती थी हमारी याद में
अब ज़हर है कैसा तुम्हारी उस नज़र मे
वोह तुम ना थे जो आंसू चुराए तन्हाई के
मालूम ना था बरस गया है धुआ कब से
तेरी बेरुखी से यह अशक निलाम हो गये
मेरे अशकों से तेरी यादो के दिये बुझ गये
तुझे क्या पता औ बेवफा अंग है बर्फ मेरे
ना आयुंगी कभी तेरे दर पे बुलाने तुझे
की हम तुझ से रूठना भूल गये
Nothing should be manipulated or exploited or changed . all rights reserved with Kamlesh Chauhan
हम भूले ना आज तक कोई बात
हम भूले ना तेरा मधुर पियार
दिल ने माना तुम्हे ही दिलदार
तेरा हमारे रूठने पे यह कहना
भल्ला लगता है तेरा मिजाज़ चुलबला
जब हमारा किसी से बात करना
सुना करते थे तुमसे ही तुम्हारे दिल का डरना
हम पूछते थे कियों करते हो हमारे प्रेम पे शक
जवाब था तुम्हारा भरोसा है मुझ पर
नहीं करता मेरे दिल नादाँ पे कोई शक
लेकिन यु आपका हमारे आजाद पंछी दिल को कैद करना
हमारा दिल समझ न सका आपका इस कदर दीवाना होना
जब आई तुम्हारी बारी पराये लोगों से यु खुल कर बात करना
हम सोचते आप भी सीख जायोंगे प्रेम दोस्ती मे अंतर करना
हम खुश होते तुम सीख रहे हो गैरो से दोस्ती करना
हमारे दिल की कदर करोगे क्या होता है समाजिक होना
यह क्या हुआ यह कै़से रुख बदला तुमने अपना
गैरो की बातो मे हकीकत पाई तुमने हमारी वफ़ा भूल गए
मौसम भी कुछ वक़त लेता है बदलने में
सर्दी गर्मी घडी लेती है रुत बदलने में
यह किस कदर रास्ता हमारा भूल गए
इतनी जल्द कियों रंग बदल गया तुम्हारा
नियत ने बदसूरत किया चेहरा तुम्हारा
हम बैठे रहे दहलीज़ पर तेरी इंतजार मे
बिखरा दिये राहो की बेदादगरी ने
जो भूल बिखारे थे मेरे हाथो ने
जब रूठ कर माँगा हमने अपना हक
बरसा दिये तुमने अंगार भरे लफ्ज़
आंखे रोई पर ना सोयी रात भर
तेरी ख़ुशी पे भटका था मेरा सफ़र
वोह नज़र बरस जाती थी हमारी याद में
अब ज़हर है कैसा तुम्हारी उस नज़र मे
वोह तुम ना थे जो आंसू चुराए तन्हाई के
मालूम ना था बरस गया है धुआ कब से
तेरी बेरुखी से यह अशक निलाम हो गये
मेरे अशकों से तेरी यादो के दिये बुझ गये
तुझे क्या पता औ बेवफा अंग है बर्फ मेरे
ना आयुंगी कभी तेरे दर पे बुलाने तुझे
की हम तुझ से रूठना भूल गये
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