ऐ ! पडोसी लेखक : कमलेश चौहान : All rights reserved with Kamlesh Chauhan 2010
ऐ ! पडोसी , सुन गौर से मै हंसू या रोयू तेरी इस नादानी पे
बोल सर झुका दू या सर को छिपा लू तेरी इस बेईमानी पे
अफ़सोस ! न आया तुझे न भाया तुझे जीना कभी अमन से
न जीने दिया भारत को, न तुझे खुद आया जीना कभी चैन से
तेरे रग रग मे तेरे ज़ेहन में जिस कदर छाह चुकी है ईर्ष्या
इस कदर घर बना चुकी है तेरे भाजुओ मे शैतान की हिंसा
भिखारी बन के विशव में तू मांगता है एक ज़हरीली खुनी कमान
खबर ले वतन की गरीबो की, नहीं मिलता उन्हे कपड़ा रोटी मकान
फिर भी न जाने कियों तुने पहन रखा है नफरत का लिबास
भटकाता है मासूम नौजवानों को पहन कर मज़हब की निकाब
कश्मीर पे किया यु तुने हब्शी सा अत्तियाचार, तेरा ही किया ये पाप
तेरा मज़हब तेरा खुदा मांगेगा तुझ से ही तेरे इस जुलम का हिसाब
असमान पे, धरती पे , तेरे घर से तेरे जिगर से तुझे अपनी ही चीखे सुनाई देंगी
कश्मीर भारती की एक एक लाश तुझे न चैन से मरने देगी न जीने देंगी
ओह ! पडोसी बात कर ,ध्यान कर इधर आ जरा सुन कान कर
अनसुनी मत कर, भूल मत यह बात अपने खुदा की याद कर
पन्ना पन्ना इतिहास का बन कलम तलवार तेरी हरक़त लिखेंगा
आने वाली तेरी पीड़ी का हर अंश तेरे कारनामो पे तुझे दुरकायेगा
All rights reserved with Kamlesh Chauhan. none of the idea , any lines, thoughts is allowed to manipulate or exploited.
बोल सर झुका दू या सर को छिपा लू तेरी इस बेईमानी पे
अफ़सोस ! न आया तुझे न भाया तुझे जीना कभी अमन से
न जीने दिया भारत को, न तुझे खुद आया जीना कभी चैन से
तेरे रग रग मे तेरे ज़ेहन में जिस कदर छाह चुकी है ईर्ष्या
इस कदर घर बना चुकी है तेरे भाजुओ मे शैतान की हिंसा
भिखारी बन के विशव में तू मांगता है एक ज़हरीली खुनी कमान
खबर ले वतन की गरीबो की, नहीं मिलता उन्हे कपड़ा रोटी मकान
फिर भी न जाने कियों तुने पहन रखा है नफरत का लिबास
भटकाता है मासूम नौजवानों को पहन कर मज़हब की निकाब
कश्मीर पे किया यु तुने हब्शी सा अत्तियाचार, तेरा ही किया ये पाप
तेरा मज़हब तेरा खुदा मांगेगा तुझ से ही तेरे इस जुलम का हिसाब
असमान पे, धरती पे , तेरे घर से तेरे जिगर से तुझे अपनी ही चीखे सुनाई देंगी
कश्मीर भारती की एक एक लाश तुझे न चैन से मरने देगी न जीने देंगी
ओह ! पडोसी बात कर ,ध्यान कर इधर आ जरा सुन कान कर
अनसुनी मत कर, भूल मत यह बात अपने खुदा की याद कर
पन्ना पन्ना इतिहास का बन कलम तलवार तेरी हरक़त लिखेंगा
आने वाली तेरी पीड़ी का हर अंश तेरे कारनामो पे तुझे दुरकायेगा
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lovely
ReplyDeletechavvijee bahoot bahoot dhanyavad mera utsah badane ka
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