भारत माँ की आँखों के आंसू , शहीदों के नाम लेखिका : गौरी
भारत माँ की आँखों के आंसू , शहीदों के नाम लेखिका : गौरी ऐ ! वीर , मेरे देश के जवान शहीद , तेरी राह की धूल को मै अपने माथे पर लगाती हु। जिस दिन से आई हु परदेस में तेरे तेज़ की दास्ताँ अपनी कलम से ब्यान करती हु। कैसा अंधेर छाया है, कुछ चंद नेतायो, अभिनेतायो ने दुश्मनो से जाकर हाथ मिलाया है। इन खिलाड़ीयो ने ,खलनायको ने दो सिक्को के लिए तुम्हारी शहादत को पल में भुलाया है। तुम काँटों पर चलकर देश की रक्षा जिंदादिली से चप्पे चप्पे पर अपना खून बहाते गये। भूख प्यास , गरम सर्द सह कर बेखबर कुछ ज़ालिम देश द्रोहियो की जान भी बचाते रहे। चंद सिक्को की चमक में देशद्रोही नेतायों, लालची खिलाडीयो ,कलाकारों ने बेच डाला ईमान इनके गलो में है फूलो के हार और तुम्हारे गले से उतर गयी किसी दरिन्दे की बेरहम तलवार। अलख जलाया मैंने जिस सरहद पर तेरा खून बहा ,उस सरहद पर हर भारती का है सर झुका...