भारत माँ की आँखों के आंसू , शहीदों के नाम लेखिका : गौरी
भारत माँ की आँखों के आंसू , शहीदों के नाम
लेखिका : गौरी
ऐ ! वीर , मेरे देश के जवान शहीद , तेरी राह की धूल को मै अपने माथे पर लगाती हु।
जिस दिन से आई हु परदेस में तेरे तेज़ की दास्ताँ अपनी कलम से ब्यान करती हु।
कैसा अंधेर छाया है, कुछ चंद नेतायो, अभिनेतायो ने दुश्मनो से जाकर हाथ मिलाया है।
इन खिलाड़ीयो ने ,खलनायको ने दो सिक्को के लिए तुम्हारी शहादत को पल में भुलाया है।
तुम काँटों पर चलकर देश की रक्षा जिंदादिली से चप्पे चप्पे पर अपना खून बहाते गये।
भूख प्यास , गरम सर्द सह कर बेखबर कुछ ज़ालिम देश द्रोहियो की जान भी बचाते रहे।
चंद सिक्को की चमक में देशद्रोही नेतायों, लालची खिलाडीयो ,कलाकारों ने बेच डाला ईमान
इनके गलो में है फूलो के हार और तुम्हारे गले से उतर गयी किसी दरिन्दे की बेरहम तलवार।
अलख जलाया मैंने जिस सरहद पर तेरा खून बहा ,उस सरहद पर हर भारती का है सर झुका
मणि शंकर आयर कायर राज -द्रोहियो ने भुलायी तुम्हारी शहादत भारत माँ को शर्मनाक किया।
आंधीयो , तुफानो का सिलसिला है , तेरे खून से सरहद के पर्वत नदिया तेरे वीरता का संगीत है।
बांधकर तुम चले थे कफ़न , सीना तानकर चली थी तेरी जवानी जेहलम यह बात दुहराती है।
मेरे देश के लाल , तुम उदास मत होना, भारत माँ की आँखों के आंसू को बहने मत देना।
इन खिलाड़ीयो को, नेता, अभनेता को , बुद्धि जीवो को भूले से भी कभी माफ़ ना कर देना।
गौरी
मेरी इस कविता पर मेरा निजी अधिकार है। ऐसे तोड़ फोड़ कर अपने नाम से लिखने की अनुमति नहीं है। (कापी राइट @कमलेश चौहान (गौरी)
आखिर में मेरा एक सन्देश तुम हो हमारे भारत के असली हीरो असली मानव , असली वीर , तुम्ही हो हमारे गर्व , तुम्ही हो हमारा मान, ईमान , तुम्ही करोंगे पुरे संसार पर राज , मोदी जी एक ऐसा कर्म कर देना एक एक शहीद का स्मारक कश्मीर में बना देना।
लेखिका : गौरी
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