नयी पीढ़ी , नयी फसल ,, नयी हड्डिया और पुराणी हड्डिया : Lekhika Gauri

नयी पीढ़ी , नयी फसल ,, नयी हड्डिया और पुराणी हड्डिया
Gauri
कभी वह ज़माना था जब हमारे कम पड़े लिखे माँ बाप। नाना सा नानी सा , फुफा फुफी। मासी सा मौसा सा यह सिखाया करते थे बड़ो से कैसे बात करते है। गलती न होने पर भी किसी बात पे ज़िद करने पर माफ़ी मांगने पर विवश किया करते थे।
लेकिन यह कैसा जमाना है ? हार्दिक पटेल, कन्हैया कुमार, अल्पेश ठाकोर और जिगनेश मवानी जैसी औलाद को किसने जनम दिया ? कौन देता है इनको पैसा ? कहा से आये है यह लोग जो अपनी मातृभूमि को भी बेच रहे है ? कौन है इन लोगो के पीछे ? कौन पैसा खिला रहा है इनको ? यह कैसा पालन पोषण है या फिर उनकी संगत कैसी है जिनके अपनी ज़ुबान से शब्द निकालते वक़त उनकी बुद्धि घास चरने चली जाती है कि उनके घर में भी उनके पिता की हड्डियां सेकने के लिये कहा भेजा जाये ? युवायो की ज़ुबान ख़राब की जा रही है और कितनी बदतमीज़ी है कितनी नीचता है इन इन लोगो में की बड़ो को गाली दे कर कहते है मैं तो गाली दूँगा ? कितने निर्लज है यह दो दो टके के मोल पर बिकने वाले, कल के पैदा हुवे शोकरे। ईश्वर इन्हे जल्द ही गन्दी नाली में वापिस भेजेगा। जिस गन्दी नाली में इन्होने जनम लिया है। फिर देखना किसकी हड्डिया गलती है। इनके पास शायद तन ढाँपने के लिए चड्ढी भी नहीं होगी।
गुंडा गर्दी का राज है क्या? दलित कोई जात से नहीं होता , जाती के नाम पर आरक्षण बंद करो। हम सब इन्सान है। दलित के नाम पर देश को ठगना बंद करो। दलित लोगो का हक़ बनता है की कोई उन्हें दलित कह कर उनका इस्तेमाल न करे कियोंकि आप इन्सान है दलित नहीं। किसी का अपने आप को दलित कहलाना इंसानियत को , भगवान के बनाये इन्सान को गाली देना है। यह हर श्रेणी का हक़ बनता है कि जिगनेश , हार्दिक तथा कन्हैया कुमार व अल्पेश ठाकोर जैसे लोगो को अपने राज्य से बाहर का रास्ता दिखाए।
हैरानी इस बात की भी है , यह कैसे वोटर थे , यह कैसी पार्टिया है जो ऐसी सस्ती मानसिकता वालो लोगो को पैसे दे कर देश की आवाज़ बना रहे है। एक बदज़ुबान गद्दार केजरीवाल से लोगो का पेट नहीं भरा ? जो इन लोगो ने नौजवानो को पैसा दिया और देश बर्बाद करने के लिये युवको को आगे किया। मुझे मीडिया पर संगरीका गोश , बुरखा दत्त , निधि राज़दान जैसो पर भी नाराज़गी तथा ताजुब है जिन्होंने युवको को इतना सर पर बिठा दिया। अगर तुम लोगो ने युवको को सर पर बिठाया है देश की भलाई इसी में है की ऐसे गंदे कीड़ो को अब अपने पैरो तले मसल दो.. हैरत होती है मुझे जिन लोगो ने बेवकूफ अल्पेश जैसे युवा को वोट दिया ? कितनी रिश्वत दी गयी थी लोगो को वोट देने के लिये ? सरकार इनके अकाउंट को इन्वेस्टीगेट करे? कोई तो है इनके पीछे। भारतीय जनता पार्टी अब आराम से न बैठे। उनको हर वक़त चुपचाप गली गली मोहल्ले मोहल्ले जाकर युवा को देश प्रेम और अपने बड़ो का आदर करना सिखाये। क्षमा करना भारत को एक अनपढ़ विदेशी महिला के हाथ मत सौंपो।
मुझे किसी पार्टी से कोई वास्ता नहीं। अब संसद ले लो , यह कांग्रेस वाले यह नहीं जानते की संसद में देश के मुद्दों पर बात होनी चाहिये ? जनता का पैसा बर्बाद कर रही है यह कांग्रेस पार्टी? कांग्रेस पार्टी से तो जंगल का जानवर अच्छा जो अपने जंगल में राज करते है और पुरे जंगल में जंगल की नीति के अनुसार चलते हैं। अब तो मैं भोली भाली जनता पर दया करती हुँ। बेचारी जनता कांग्रेस के हाथो कितनी मजबूर है। अब आया याद किसानो का कांग्रेस पार्टी को? किसानों की हालात पर? अब आयी सेना की याद जब कश्मीर में हमारे सिपाहियों के सर काट लिए जाते थे तो क्या किया था सोनिया गाँधी ने ? क्या किया था सलमान खुर्शीद ने चीन में जाकर ? कहा थे यह बुरबोला मणि शंकर आयर ? याद करो कांग्रेस वालो कितनी बार राहुल ने मनमोहन सिंह जी की बेइज़्ज़ती की ? सोचो? उस वक़त संसद को कैद नहीं किया?
जनता के पैसे पर संसद में शोर मचाने जाते हो या देश के मुद्दों पर बातचीत करने ? क्या जनता ने इसलिए चुना था कि जानवरो की तरह चीखो और चिलायो। अध्यक्ष के बार बार कहने पर भी तुम लोगो की ज़ुबान को फंदा नहीं लगता। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। जनता तुम्हे बताएंगी आने वाले चुनाव पर। जनता देखती है तुम लोगो की चाले। खा गए हो तुम देश को।
यह एक मोदी जी थे जब नवाज़ शरीफ ने मनमोहन सिंह जी को वाशिंगटन में देहाती औरत बोला था तो मोदी जी गुजरात के मुख मंत्री होकर भी उन्होंने नवाज़ शरीफ को जवाब दिया था ? तब याद नहीं आया नवाज़ शरीफ से माफ़ी मंगवाने का ? खा गए हो तुम देश को। वाशिंगटन में तुम लोगो गूंगे हो गए थे। तुम लोग अपने ही बनाये प्रधान मंत्री की इज़्ज़त को बचा न पाए , उस वक़त ५६" के सीने वाले ने नवाज़ शरीफ की बोलती बंद की थी।
संसद में लोगो को नारे लगाने क्वे पैसे मिलते है क्या ? मुफत का खाने की आदत पड़ गयी है तुम्हे कामचोरो ? ओह याद आया यह बूढ़े जो कांग्रेस में शामिल है उन्होंने ने आज की पीड़ी को उनकी हड्डियों की ज़िम्मेदारी जगणेश जैसे , हार्दिक पटेल जैसे तथा कन्हैया कुमार जैसे हाथो में सौप रखी है। जिगनेश बेचारे को कुर्सी क्या मिली सातवें आसमान पर बैठ गया ? यह क्या युवो को तमीज सीखा सकता है जो खुद एक गन्दी नाली में पला एक कीड़ा है। याद है कन्हैया के बीमार बाप ने कहा था “उसका बेटा कन्हैया जो अपने बाप का नहीं वोह देश का क्या होगा ?” उस कन्हैया के चेले है न यह जिगनेश मवानी तथा मनहूस हार्दिक पटेल? धिकार है ऐसे युवा की जिसका परिवार भी इनको नहीं पसंद करता। यह युवायों को कोई तमीज सीखा सकता है जिसका खुद का स्तर इतना गिरा हुवा है। जैसे नेता वैसे ही उनकी प्रजा।
अब तो जनता को देखना होगा अगले चुनाव में कांग्रेस राक्षसों के हाथ में देश की बांग देनी है ? अब तो बी जे पी को सोचना होगा कि कैसे देश को संभालना है और अपनी पार्टी में भी परिवर्तन ले कर आना है / एक नया कानून बनाया जाये जो भी अपने पी एम को गाली दे उसकी ज़ुबान कैसे बंद करनी है ? जेल में भेज कर या जुर्माना लगा कर. संसद में हला गुला करने वालो को जेल भेजना है या उनको संसद में आने की अनुमिति ही न दी जाए। नयी पीड़ी की नयी फसल का नेता ही अपने आप से गिर चूका है वह श्रेय उनके वंश की और जाता हैं। जैसा पालन पोषण जैसा वातावरण वैसी ही भाषा वैसा ही चालचलन। जैसा बीज वैसी ही फसल।
मेरे विचारो से अगर आप सहमत नहीं तो कृपया अपने शब्दों पर संतुलन रखे।
धन्यवाद।

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