दिल्ली तेरी यह आदत बहुत पुरानी है।
लेखिका : कमलेश चौहान (गौरी )
सदियों से चली आयी है दिल्ली की एक रीत
हुई दिल्ली भंग दुश्मनों के संग की तूने प्रीत।
तुम्हारी खोट बनी बल फिर से दुश्मन की तलवार
लो शुरू हो गया भारत माता के सम्मान पर वार ।
आज की बात नही दिल्ली तेरी यह आदत सदियों पुरानी है
कल भी की थी बर्बादी तुने आज भी देश की तबाही ठानी है।
सुना है तेरे राज्य में आज भी आई है गद्दारो की बहार
मिलकर जो देश के टुकड़े टुकड़े करने को हुई तैयार ।
तु तो अपनी हो कर बनी दुश्मन तो अब गैरो से क्या गिला
वाह!मेरी दिल्ली दहशत गर्दो से तुम्हे इनाम अब झाडु मिला।
Copyright@Kamlesh Chauhan(Gauri)
लेखिका : कमलेश चौहान (गौरी )
सदियों से चली आयी है दिल्ली की एक रीत
हुई दिल्ली भंग दुश्मनों के संग की तूने प्रीत।
तुम्हारी खोट बनी बल फिर से दुश्मन की तलवार
लो शुरू हो गया भारत माता के सम्मान पर वार ।
आज की बात नही दिल्ली तेरी यह आदत सदियों पुरानी है
कल भी की थी बर्बादी तुने आज भी देश की तबाही ठानी है।
सुना है तेरे राज्य में आज भी आई है गद्दारो की बहार
मिलकर जो देश के टुकड़े टुकड़े करने को हुई तैयार ।
तु तो अपनी हो कर बनी दुश्मन तो अब गैरो से क्या गिला
वाह!मेरी दिल्ली दहशत गर्दो से तुम्हे इनाम अब झाडु मिला।
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