चिंतन मेरे मन का: मैं राहुल बाबा: "अगर राहुल जी से आज सच बोलने को कहा जाये और वे आंखे बंद करके सच कहने का फैसला करें तो कुछ इस तरह सच सामने आएगा - एक चिंतन कांग्रेसियों का..."
मैं भारत मैं की बेटी हूँ ? लेखिका : कमलेश चौहान ( गौरी) कोई मुझे हिन्दू कहता है , तो कोई कहता है कश्मीरी कोई मुझे पंजाबी , सिंधी सिख पहचान से जानता है कोई बोले है बंगाली , मद्रासी , कोई कहता है मुझे राजस्थानी। अरे ओह ! दुनिया वालो , मेरे दोस्तों, जवानों मेरे देश के दीवानो पुकारो , मुझे अनेक नामो से आवाज दे कर हज़ार बार पुकारो। , भले मैं अपने वतन से कोसो दूर हु , फिर भी गंगा जमुना की लहर हु मुझे गर्व है मैं हिन्दू की बेटी , मै अपने धरम की एक बुलंद आवाज हूँ। भले अपने वतन से कोसो दूर हु फिर भी दिलो जान से कहते है मुझे हिंदुस्तानी मै कही भी रहु , यहां भी रहु। मेरा वजुद की सांसो को सुगंध देती है मेरे वतन की माटी कोई बताये मै कैसे भूल जायूँ उस धरा को जिस पर सदियों पहले थी जन्मी , वतन की याद सताती है जिसकी हर सुबह लागे है मुझे सुहानी । (Gauri) नोट : न जाने किछ राजनीती के लालच में कुछ राजनितिक पार्टियों ने एक ढोंग सा रचा रखा है। पहले तो हमारे देश में जो रोज आतंकवादियों के
चाँद फिर निकला Written By: Kamlesh Chauhan Copyright@ July 9th, 2008 ये चाँद आज फिर निकला है यु सज धज के मुहबत का जिक्र हो शायद हाथो की लकीरों मे याद दिलाता है मुझे एक अनजान राही की याद दिलाता है उन मुहबत भरी बातो की टूट कर चाहा इक रात दिल ने एक बेगाने को कबूल कर लिया था उसकी रस भरी बातो को वोह पास हो कर भी दूर है मुझ से दूर होकर भी कितने करीब है दिल के उनको देखने के लिये ये नैन कितने प्यासे थे उनको देखने की चाह मे हम दूर तक गए थे डूब जाते है चश्मे नाज़ मे उनका कहना था जिंदगी कर दी हमारे नाम उनका ये दावा था आज चाँद फिर निकला बन ठन कर चांदनी का नूर छलका हो यु ज़मीं पर याद आयी नाखुदा आज फिर शब्-ए-गम की मदभरी,मदहोश,रिश्ता-ए-उल्फ़ते,शबे दराज की नैनो मे खो गए थे नैन कुछ ऐसे उस रात छु लिया यूँ करीब हो कर खुल गया हर राज़ २ आज पूरण माशी का चाँद फिर निकला सवाल करता है आपसे आज दिल मेरा मेरे चाँद तोड़ कर खिलोनो की तरह यह दिल किसके सहारे छोड़ देते हो यह दिल अगर वायदे निभा नहीं सकते थे तुम जिंदगी का सफ़र न कर सकते थे तुम कियों आवाज दी इस म
कैलीफोर्निया में शहीदो को मिली सलामी दिवाली के पर्व पर लेखिका : कमलेश चौहान (गौरी ) कैलिफ़ोर्निया : अक्सर भारत में हमारे भाई बहन सोचते है कि शायद विदेश में रह ने वाले अपने वतन को अपनी सरे ज़ मीं को भूल गए है। लेकिन कहते है अपने जन्मभूमी को वह इन्सान कभी नहीं भूल सकता जिसे अपने पुर्वजो से अच्छे संस्कार मिले हो। भला कोई जन्म देने वाले माता पिता को भूल सकता है ? लेकिन कुछ लोग जितने वतन से दूर होते है उतना उनका दिल देश प्रेम में डुबा रहता है। भारत में हो रही हर घटना पर हम विदेशियो पर भी असर होता है। एक तरफ दिवाली की खुशिया मनाई जा रही थी विदेश में दुसरी उरी में होने वाले भयानक आतंकी हमले में शहीद सैनिको की शहादत पर गर्व भी और शोक से सब की आंख नम थी। कब लेंगे जन्म हमारी पावन धरती पर भगवान राम और भगवन कृष्ण? ,कब जागेगा पूरा भारत के लोगो कादेश के लिए प्रेम। किसी ने सही कहा है कभी ख़ुशी कभी गम एक साथ साथ चलते है। न
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