Bewazah Teri Gali Mein: Lekhak --Kamlesh Chauhan @June 2011


बेवज़ह तेरी गली में


लेखक - कमलेश चौहान

Copy Right@Kamlesh Chauhan


कहाँ से लायू किताबे ज़ीस्त , कौन लिखेंगा तेरा नाम ?

मेरा हाथो की लकीरों में

अंधेरो से गिला काया करू , उदय होते ही उजले सूरज के

दोनों हाथ जल गए थे सवेरे में

दिल की दहलीज़ पर सदियों से जो सुबह की कायनात सी

खामिशी छाई थी

ले जाकर किनारे पे साहिल ने चुपके से सागर में

खुद ही नाव डुबोई थी

चले ले कर रहगुजर में मीठे खवाबो का काफिला

दो अजनबी इक साथ

बिन सोचे, बेख्याल , मदहोश, बेकाबू हिसारो में कैद

मासूम ज़ज्बात

याद आये वोह रविंशे-गर्दोबाद तेज़ हवा के झोंके

मेरे कदम बेवजह तेरी गली में ले गए

न जाने क्या हुवा यह तो है मेरी रूह के पहचाने दरो दिवार

बेखुद नासुबरी आ गए

शौके -बे -माया ने तुझे भी शायद जा नींद से जगाया होगा

सुनी जो शबेतार में कदम की आहट

मेरी आँखों में थी तेरी रोशनी शायद चाँद निकल आया होगा

हलके हलके बदने लगी दिलो की चाहत

तुम्हारी वफ़ा को करू मै सजदे , तकरार पर भी रोकते हो

रोक लेते हो रास्ता मेरा

भीगी पलकों को यु चूम कर मेरी मस्ती में मुस्करा देते हो

चुमते है लब मेरे नाम तेरा

आस दिलाते हो उन पालो की तुम और मै का सरूर होगा

सर्द रातो की लम्बी रातो में खामोश चाँद तारे होंगे


बस कर मेरे दिल की धारको में मेरा राज़ जाने वाले

तुझे हासिल करना

दो जहानों के फासलों में दहकते ज़ज्बातो को जगाने वाले

दिन रात तेरे ख्वाब देखना

मेरे मुकदर में लिखा अदब का लिखा कहर नहीं बदल सकता

जो बिगड़ जाते है नसीबे तखली कंकारो के हाथो

वोह नसीब गुल्बदानो से संवारा नहीं जा सकता

सुन गौर से र्हर्बने शौक यह भरम की खावाबे राह्गुजर है

जिनकी तकदीरो में शिकस्ते मुसाफत

उनका वक़त बदले भी नहीं बदल सकता

बेहतर है इसे इक रात का खोया खवाब समझकर सुबह होते भूल जाना

रहे तेरी दुनिया आबाद यारब , मेरे हर गुनाह को नसीब का भूल समझना

All Rights Reserved with Kamlesh ChauhanGauri. Nothing should be manipulated or exploited for any use of words, Ideas and sentiments.

















           

                  



Comments

Popular posts from this blog

“Opposition Parties and Indian Media in India are threat to Present Narendra Modi Prime Minister of India “ Written By: Kamlesh Chauhan

उमर फैयाज की शहादत काबुल होगी अल्लाह की दरगाह में लेखिका : कमलेश चौहान ( गौरी)