हवाएँ - पंकज त्रिवेदी-- All rights reserved with Pankaj Trivedi
करता हूँ तुम्हें प्यार तो, जलती है यह हवाएं
लोग भी यहाँ क्यूं जलने लगे, लगती है हवाएं
बात मन की है सुनो, जाती है यूं ही दूरतलक
लोग भी कितने अजीब है, कहती यह हवाएं
समझना चाहता था, तुम्हें जिंदगीभर के लिएँ
न पार कर पाया दहलीज़ भी, लगती थी हवाएं
ममनून हूँ तुम्हारा, जो सिसककर सह रही थी
क्या जानो प्यार को तुम भी, लगती हैं जो हवाएं
इतना सुन्दर ब्लॉग देखकर खुशी हुई | मेरी कविता यहाँ रखने के लिए मैं आभारी हूँ | - पंकज त्रिवेदी
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