Sunil Malikbhai Sonu ki Contrubuation _ Na Socho Apnae Pran KI
Sunil Malikbhai Sonu February 8 at 1:08pm Report
विश्व एकता के सम्मुख ना सोचो अपने प्राण की।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
तम को धर से दूर करो अब पट खोलो किवाड़ की।
सीमाओं को खत्म करो अब बात करो ना बाड़ की।।
ना हो विषमता ना हो बन्धन ना हो सीमायें जिसमें।
मिल जुल कर प्रयास करो उस नव युग के निर्माण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
अब तो त्याग करो श्रंखला विजयों के अभियान की।
ध्वनियां तुम तक भी पहुचेगी मानवता के गान की।।
साथ हमारे अगर तुम्हे भी शान्ति दूत बन पाना है,
बन्द करो अब पूजा तुम भी भाले और कृपाण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
अहंकार को छोड़ो कुछ ना कीमत है अभिमान की।
हिल मिल कर अब तुम भी सोचो मानव के सम्मान की।।
लालच में तुम फंसे रहोगे ना इसमें कुछ रक्खा है,
कोशिश करके देखो राहें पाओगे निर्वाण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
नहीं सुनाओ अब तुम गाथा मानव के संहार की।
दिल में ज्योति जलाओ तुम भी प्यार भरे संसार की।।
जब तुमको है ये लगता सब जीवन एक समान है,
फिर क्यों अलग उपाय हो करते अपने जीवन त्राण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।
Copyright @ Sunil Malikbhai Sonu
विश्व एकता के सम्मुख ना सोचो अपने प्राण की।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
तम को धर से दूर करो अब पट खोलो किवाड़ की।
सीमाओं को खत्म करो अब बात करो ना बाड़ की।।
ना हो विषमता ना हो बन्धन ना हो सीमायें जिसमें।
मिल जुल कर प्रयास करो उस नव युग के निर्माण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
अब तो त्याग करो श्रंखला विजयों के अभियान की।
ध्वनियां तुम तक भी पहुचेगी मानवता के गान की।।
साथ हमारे अगर तुम्हे भी शान्ति दूत बन पाना है,
बन्द करो अब पूजा तुम भी भाले और कृपाण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
अहंकार को छोड़ो कुछ ना कीमत है अभिमान की।
हिल मिल कर अब तुम भी सोचो मानव के सम्मान की।।
लालच में तुम फंसे रहोगे ना इसमें कुछ रक्खा है,
कोशिश करके देखो राहें पाओगे निर्वाण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।।
नहीं सुनाओ अब तुम गाथा मानव के संहार की।
दिल में ज्योति जलाओ तुम भी प्यार भरे संसार की।।
जब तुमको है ये लगता सब जीवन एक समान है,
फिर क्यों अलग उपाय हो करते अपने जीवन त्राण की।।
बात करो अब हमसे केवल मानव के कल्याण की।
Copyright @ Sunil Malikbhai Sonu
Comments
Post a Comment