लोग अक्सर सवाल करते है। लेखिका : कमलेश चौहान गौरी
लोग अक्सर सवाल करते है। लेखिका : कमलेश चौहान गौरी
मुझे याद है दो साल पहले जब मैं भारत अपने उपन्यास बुक लांच करने गयी , मैंने जहाज से उतरते ही अपनी भारत की माटी को चुमा और माथे पर लगाया। यह मै हमेशा जब भी कभी शादी के बाद भारत गयी तो मैं तब से जहाज की सीढ़ियों से नीचे उतरते ही सबसे पहले यही किया करती थी। मेरा भारत एक तीर्थ स्थान है मेरे लिए। खैर अब तो जहाज की सीडिया से उतरना ही नही पड़ता। बस जहाज से बाहर निकलो तो हम कस्टम और लगेज चेकिंग में आ जाते है।
हा तो कुछ दिन रुक कर अपने रिश्तेदारों के साथ दिल्ली से मुझे मुंबई जाना था। साथ में कुछ रिश्तेदार थे। जिनके पास पैसा भी था और कारे भी। फिर भी भारत के बारे शिकयात कर रहे थे। आबादी पर तो कोई नियन्त्र नहीं। हिन्दवो ने तो दो ही बचो पर रोक लगा दी कुछ नान हिन्दुस् ने चार चार शादिया कर के खूब यश कमाया आबादी बड़ाने में। सरकार उन्हें रोके तो विपक्ष बवाल खड़ा करदे। बस सड़को पर उतर आये अपनी मिशाले उठाकर। पुलिस ने रोका तो मीडिया लगा चीखने चीखने। ऐसी रैलियो में कभी नेता को कुछ होता देखा। मासूमों को यूवा को ज़ख़्मी होते देखा है। और बेचारे रोज के कमायी पर निर्भर रहने वालो की जिंदगी दुर्भर करदेगे ।
बुवा की सहेली की एक बेटी भी हमारे साथ मुंबई जा रही थी। मैंने उनसे पुछा क्या बात है, आपकी कॉलोनी में जो फुटपाथ की सड़क है जो सरकार ने पैदल चलने वालो के लिये बनाया है , उस पर भी हर एक घर के आगे अपने घर का हिस्सा समझ कर गेट क्यों लगा दिया जाते है , ऐसे सरकार की प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा करने वाले लोगो को रोका कियों नहीं जाता। सरकार की फुटपाथ पर कब्ज़ा क्यों कर रखा है? क्या देश में कोई कानून नहीं ? जो ऐसे लोगो को नोटिस नहीं देती ?
ट्रैन चल पड़ी थी। लेकिन कुछ देश के कुछ मुदो को लेकर हम सब फिर प्रदूषण और सड़क पर ट्रैफिक की बाते करने लगे। जो लोग हमारी आपस की बाते सुन रहे थे वह एक दम बड़े ध्यान से मेरी बाते सुन रहे थे। कुछ तो घर घर कर देख रहे थे कि यह कहा से आयी है ? कौन है ?
हैरान कर देने वाली बात यह थी की मुझे पता ही नहीं चला कब सब लोग मेरे आस पास आकर खड़े हो गये। अपनी अपनी राय रखने लग गए थे , कि तेल बहुत महंगा हो गया है ? मोदी जी ने अपनी जेब में पैसे डालने के लिए महंगा किया है वैगेरा। रुपैया गिर रहा है।
, लेकिन वह इतना नहीं सोच रहे थे की सडको पर इतनी कारे है की साँस लेना मुश्किल होगा ही । सरक़ार ने मेट्रो चला रखी है। मेट्रो कियों नहीं लेते ? , पार्किंग की घर के आगे जगह नहीं , उधर बाहर से आप लोगो ने गैर कानूनी लोगो को बसा भी रखा है और छीपा भी रखा है, जो अपने देशो में इतने गुनाह करके भारत भाग आये है । कियों? हर घर में एक रिफ्यूजी औरत काम कर रही है। क्यों?
तो एक मुसाफिर बोले कियोंकि अब भारत में खाली रिफ्यूजी ही सस्ते दाम पर काम करते है। अब अपने देश में सफाई का काम कोई नहीं करना चाहता। अब देखिये न मोदी साहब का उदारहण ले लो। उनके पिता जी अपना खोका खोल कर चाय बेचते थे। मैंने बिना सुने यह बात कह दी " तो क्या वह चोरी करते थे ? चाय की दुकान का मतलब चाय का एक छोटी से दुकान थी जो अपनी थी ? लेकिन कुछ पार्टी के ऐसे नेता थे जो आज भी मोदी जी का चाय का उपहास उड़ाते है. देश को बर्बाद करने वाले नेताओं से तो चाय बेचनेवाला लाख गुना अच्छा है। मैं तो ऐसे इन्सान को बहुत महान समझती हूँ। जिसमे अपने लिए इतना स्वाभिमान था। आज पुरे विश्व में मोदी जी ने भारत का गौरव बढ़ाया यह हम देश से बाहर रहने वाले जानते है। काश !अगर हमारे देश में यह छोटे छोटे उद्योग वाले , रेडी पर छोले बठूरे बेचने वाले , पकोड़े , सब्जिया और फल फ्रूट बेचने वाले . गने का रस निकलने वाले, पानी पूरी बनाने वाले , लोग अपना काम करते है तो वह महान है. रिश्वत चोर नेतायो से बेहतर है।
तो एक दम मुझे किसी ने कहा , हे विदेशी मेम , बड़ी बड़ी बाते करने वाली अगर तुझे देश इतना ही प्यारा है तो विदेश क्यों भाग गयी ? यहां रहो तो तुम्हे पता चले की देश में लोगो की क्या हालत है। चाय बनाने वाला क्या देश के लिए कर सकता है? वह तो पड़ा लिखा भी नहीं। देश विदेश ही घूमता रहता है। मेरे दिल में आया ७० साल से अमेरिका दुश्मन था जिसने पाकिस्तान का साथ दिया था। चीन के साथ हिन्दू चीनी भाई भाई का नारा किसने लगाया था और उस भाई ने क्या किया ? हमारे सैनिको के पास हथियार नहीं थे ? लेकिन बुआ घर घूर कर मुझे चुप रहने पर मजबूर कर रही थी। कही कोई सिरफिरा मेरा सर न फोड़ दे मेरा। अरे बुआ मेरी मौत यहां आनी है वही आनी है कैसे आनी है वैसे ही आनी है . न मैं कुछ कर सकती हु न ही कोई और।
थोड़ी देर के लिए मै खामोश सी हो गयी. सोचने लगी मै कोई ऐसी बात न कर दू जिससे गाड़ी में मार पीट ही शुरू हो जाए। वैसे भी बुवा ने चुपके से मेरी टांग में चुटकी काट दी थी की चुप हो जा। चुप कैसे रहती? यह सवाल यह ताना मुझ पर सोशल मीडिया पर भी अक्सर लोग कैसा करते थे। न चाहते हुवे कई बार मेरी लोगो से बहस हो जाती थी। कई लोग तो मोदी को हारने के तरकीबें ऐसी ऐसी निकाल रहे थे मई चौंक गयी थी। जो सरे आम कहते थे "उन्हें नहीं परवाह देश लुटे या न उन्हें इससे कोई मतलब नहीं। वह तो उसे हरा कर ही रहेंगे। वह देश वासियो क्या बात है।
खैर मेरी ख़ामोशी फिर टूटी जब फिर किसी ने कहां " आप तो अमेरिका में सोने की प्लेटो में खाती हो। इसलिए इतनी बाते करती हो। मैं सोच में पड़ गयी , मैंने सोने की प्लेटो में खाना खाते आमिर से आमिर भारती को नहीं देखा। इनको क्या मालूम लोग वहा किस प्रकार के काम करके अपनी मंजिल पर भारती अभी भी पहुँच नहीं पाए है। कम से कम मेरे भारत के लोगो में यह गुण तो है जिन्होंने हर किसी को अवसर दिया है अपने देश की सेवा करने के लिए। जो इतना ईमानदार और दिल से देश को ऊँचा उठाने की कोशिश कर रहा है। फिर भी ७० साल तक जुलम सहकर भी चार साल वाले मोदी से स्वर्ग इच्छा कर रहे है। आज भी वंशवाद में पड़े हुवे है। क्या भारत में उनसे बेहतर युवा कोई नहीं है?
लेकिन न जाने क्यूँ मेरी आँखों में आंसू आगये। जब किसी ने यह सवाल किया पैसे के लालच में तुम अमेरिका क्यों चली गयी। शादी मेरे माँ बाप की इच्छा से हुई थी। वह भी अमेरिका के लालच में नहीं बल्कि इस लिए की मेरे पिता श्री सा और माता श्री सा लड़के वालो को जानते भी थे और दूर के रिश्तेदार थे। एक सुरक्षित रिश्ता समझते हुए मेरा लगन छोटी उम्र में कर दिया। उन दिनों मैं कालेज में ही थी। अपनी पढ़ाई ख़तम नहीं कर पायी थी। मैं अपने माता श्री और पिता श्री सा की आज्ञा का विरोध कैसे कर सकती थी। मेरा न तो किसी लड़के के साथ को प्रेम का रिश्ता था। मैं अगर घर से भागती तो क्या मैं अपने घराने को नीचे गिराती ? उनकी मर्यादा को कुवे में फ़ेंक देती? घर से बाहर कदम रखती तो क्या यह आवारा घूम रहे राक्षस के हाथो में अपनी इज़्ज़त और जिस्म को बेच देती? न जाने लोग अक्सर सवाल पूछते वक़त सोचते कियो नहीं ?
लोगो के दिलो में देश की बजाये जात पात समाज , कौमो मज़हबों में पड़ कर देश के टुकड़े हो जाने का भी डर नहीं। अपने ही स्वार्थ की खातिर मोदी को हारने के लिए तैयार है। क्या सीमा पर सैनिक इस लिए लड़ रहा है कि उसके देश के लोग उन पर आरोप लगाए ? सैनिक नहीं तो आप भी नहीं , देश भी नहीं यह नेता भी नहीं। आप सब लोगो से काम पैसे कमाते है। फिर भी देश पर मर मिटने को तैयार है। कुछ तो लज़्ज़ा करो ?
यह कैसे नेता है धरम और समाज के जो युवको को सड़को पर रैलिया करवाते है प्रोटेस्ट करते है उनकी जान उनकी शिक्षा का कोई ध्यान नहीं ? लेकिन अक्सर लोग मुझसे ऐसे ऐसे सवाल करते है जवाब मेरे पास होता है लेकिन उसका फायदा क्या ? देश को हम ऊँचा ले के जाते है। देश ने काया किया यह नहीं बल्कि देश को राष्ट्र को ऊँचा कैसे उठाना है यह सोचे। एक घर में पांच पांच कारे होगी तो प्रदूषण भी होगा और तेल भी महंगा होगा.
अंत में यही कहूँगी मेह्गाई अमेरिका में भी है लेकिन जात वंश , धर्म और समाज के लिए नहीं अपने देश के विरुद्ध नहीं कभी नहीं कोई लड़ता। जब भी अमेरिका ने किसी के साथ लड़ाई की तो पूरा अमेरिअ एक हुवा। हमारे भारत की तरह नहीं पडोसी आतंकवाद फैलता है और हम आतंकियों को बचने के लिए अपनी सेना पर दोष लगाते है। अमेरिका का नारा है " देश पहले , देश का सैनिक पहले। बीएस यू ही अक्सर लोग मुझसे अमेरिका में रहने का ठांस कसते है। हज़ारो दाए बाए से अपने एक गौरवशाली नेता को कोसते है और वंशवाद बार बार एक ही वंश के लोगो को चुनते है। फिर आगे ऐसी मुड़े पर लिखूंगी। . ( गौरी)
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